धनबाद। गुरुनानक देव जी की जयंती पर फूलकारी हॉल बैंक मोड़ धनबाद में सद्भावना दिवस मनाया गया। इसका विषय फिलॉसफी ऑफ म्यूजिकोलॉजी इन रिलिजियन था। कार्यक्रम में देशभर से आए विद्वान, समाजसेवी, धर्मगुरु और स्थानीय नागरिक शामिल हुए। कार्यक्रम गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बैंक मोड़ बड़ा गुरुद्वारा और गुरु नानक कॉलेज धनबाद के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। प्रथम वक्ता एजुकेशनल एडमिनिस्ट्रेटर बोकारो के डॉ. डेनियल माइकल प्रसाद ने कहा कि ईसाई धर्म ग्रंथों में ईश्वर का सांगितिक आह्वाहन अहम है। यहोवा और हालेलूईया संगीतबद्ध ऋचाओं से प्रार्थना की जाने का धार्मिक दर्शन लिपिबद्ध है। डॉ. तापती चक्रवर्ती ने कहा आधुनिक जीवन और धर्म में संगीत के दर्शन के महत्व की ज्ञानवर्धक विवेचना करना सरल है। इस दौरान धनबाद पब्लिक स्कूल के सतीश केंदरिया और छात्रों ने राखा एक हमारा स्वामी शबद गायन प्रस्तुत किया। गुरु नानक कॉलेज धनबाद के छात्रों, मनप्रीत, समूह और जोया म्यूजिकल ग्रुप ने भी शबद गायन प्रस्तुत की। इससे पहले स्वागत भाषण सरदार दिलजॉन सिंह ग्रेवाल ने दिया। अंत में सभी ने सामूहिक रूप से गुरु का लंगर ग्रहण किया। मौके पर सरदार मंजीत सिंह सहित अन्य मौजूद थे
सर्वधर्म एक ईश्वर पर आधारित : डॉ. अनुराग सिंह
मुख्य वक्ता लुधियाना के लेखक डॉ. अनुराग सिंह एक ओमकार के महत्व पर प्रकाश डाला। कहा कि पैगम्बरों और संतो के शब्दों को समझें और उसका अनुपालन करें। सर्व धर्म एक ईश्वर पर आधारित है। शंकावादी विचारधारा से बचें। यह कार्यक्रम न केवल नानक देव जी की शिक्षाओं को याद करने का अवसर बना, बल्कि समाज में समरसता एकता व सेवा भावना को प्रोत्साहित करने का माध्यम भी साबित हुआ।
सनातन धर्म में संगीत का महत्व है: डॉ. तापती
डॉ. तापती चक्रवर्ती ने संगीत के अवतरण और सनातन धर्म में इसकी महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने गीत, संगीत और नृत्य को प्रकृति की सृजन में दर्शाया। कहा कि शिव का तांडव नृत्य प्रकृति विनाश को दर्शाता है। सामवेद समेत धार्मिक ऋचाएं, सुक्तियां, मन्त्रादी में संगीत का अभिन्न योग स्थापित है। आधुनिक जीवन और धर्म में संगीत के दर्शन के महत्व की ज्ञानवर्धक विवेचना बड़ी सरल है।
सूफी संगीत और इस्लाम धर्म के बीच गहरा संबंध :
डॉ. जमशेद आलम पटना के परसियन साहित्यकार डॉ.
जमशेद आलम ने इस्लाम धर्म में सूफी संगीत के महत्व को दर्शाया। प्रख्यात सूफी रूमी, रुबियात के योगदान को का जिक्र करते हुए निजामुद्दीन औलिया, अमीर खुसरो के सूफी साहित्य के अर्थ को समझाया। सुफियान सफर और पर्वरदिगार के मेल को बड़ी बारीकीयों से अवगत कराया। कहा कि सूफी संगीत और इस्लाम धर्म के बीच गहरा संबंध है, जो कि संगीत और विभिन्न अनुष्ठानों, धर्मों में देखा जा का उपयोग पूजा-पाठ और आध्यात्मिक अभिव्यक्ति के लिए किया जाता है।



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