धनबाद। झारखण्ड बांग्लाभाषी उन्नयन समिति की कार्यकारी अध्यक्ष रीना मंडल ने अविलंब झारखण्ड में बांग्ला अकादमी गठन करने की मांग की है।प्रदेश के मुख्य मंत्री हेमन्त सोरेन को लिखे पत्र के माध्यम से प्रदेश के एक करोड़ तीस लाख बांग्लाभाषियों जो राज्य के कुल जनसंख्या का 42 प्रतिशत हैं, के भावनाओं को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में बांग्ला अकादमी के गठन की मांग की गई है। रीना मंडल द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बतलाया गया है कि सम्प्रति भारत सरकार द्वारा बांग्ला भाषा को शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया है। झारखण्ड सरकार के कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग द्वारा प्रदेश के 24 में से ग्यारह जिलों, रांची, धनबाद, बोकारो, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला, दुमका,पाकुड़,जामताड़ा,देवघर,गोड्डा, साहिबगंज को बांग्ला बहुल जिला घोषित किया गया है, जबकि इसके अतिरिक्त पश्चिम सिंहभूम,हजारीबाग, रामगढ़, गिरिडीह एवं कोडरमा जिलों में भी बहुसंख्य बांग्लाभाषियों का निवास है। हाल में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में इन जिलों के अधिकांश विधानसभा सीटों पर बांग्लाभाषी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हुए गठबंधन के पक्ष में मतदान किया है। चूंकि पिछले चौबीस वर्षों से झारखण्ड गठन के बाद से प्रदेश में बांग्ला अकादमी का गठन नहीं कियागया है,जिस कारण राज्य के विद्यालयों में बांग्ला भाषा में पठन पाठन बन्द हो गया है और प्रदेश में बांग्ला भाषा के अस्तित्व संकट में है।उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल केबाहर आजादी के बाद सर्वप्रथमबिहार में बांग्ला अकादमी का गठन हुआ था,जो राज्य विभाजन की तिथितक कार्यरत था । राज्य विभाजन केसमय भारत सरकार द्वारा पारित बिहार पुनर्गठन अधिनियम,2000,जिसे लोकसभा एवं राज्यसभा द्वारा पारित किया गया है, के नियम केअनुसार बिहार के सभी नियम,अधिनियम एवं उपनियमों को नवगठित झारखण्ड राज्य द्वारा अंगीकृत किया गया था, उस आलोकमें झारखण्ड गठन के तुरन्त बाद ही झारखण्ड बांग्ला अकादमी का गठन किया जाना चाहिए था। श्रीमती रीना मंडल द्वारा मुख्य मंत्री जी से अब और कोई भी बिलंब ना करते हुए, बांग्ला अकादमी के गठन किए जाने का अनुरोध किया गया है ।


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