धनबाद। उच्च शिक्षित सौ से अधिक ब्रह्मचारिणी बेटियां संयम पथ पर चलते हुए ब्रह्माकुमारी बनने जा रही हैं। देशभर से पहुंची इन बेटियों ने बीए, बीएससी, बीकॉम और डॉक्टरेट करने के बाद अध्यात्म की राह अपनाई है। ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन के डायमंड हॉल में 20 जून को शाम 6 बजे से इन बेटियों का अलौकिक दिव्य समर्पण समारोह आयोजित किया जाएगा। इसमें सौ से अधिक बेटियां पांच हजार से अधिक लोगों की मौजूदगी में विश्व कल्याण का संकल्प लेंगी। साथ ही आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत को धारण करते हुए परमात्मा शिव को अपने जीवनसाथी के रूप में स्वीकार करेंगी।
शाम 5 बजे से शांतिवन में शोभायात्रा निकाली जाएगी, जिसमें सज-धजकर सभी बहनें और उनके माता-पिता, परिजन शामिल होंगे। इसके बाद डायमंड हॉल में विधि-विधान से इन बेटियों के समर्पण की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। समर्पण से एक दिन पूर्व अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी व संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके संतोष दीदी ने इन बेटियों और परिजनों से एक-एक कर मुलाकात की। समर्पण समारोह में इन बेटियों के माता-पिता अपनी-अपनी लाड़लियों के हाथ संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मुन्नी दीदी व संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी संतोष दीदी के हाथों में सौंपेंगे। इसके बाद से इन बेटियों की जिम्मेदारी ब्रह्माकुमारीज की हो जाएगी। मन-वचन-कर्म से संपूर्ण समर्पण के साथ ईश्वरीय नियमों का पालन करते हुए वे सेवाएं प्रदान करेंगी।
राजयोग मेडिटेशन से होती है शुरुआत
ब्रह्माकुमारीज से जुड़ने की शुरुआत राजयोग मेडिटेशन के सात दिवसीय कोर्स से होती है, जो संस्थान के देश-विदेश में स्थित सेवाकेंद्रों पर निःशुल्क सिखाया जाता है। राजयोग ध्यान ब्रह्माकुमारीज की शिक्षा का मुख्य आधार है। राजयोग की शिक्षा ही संस्था का मूल आधार और उद्देश्य है। संस्थान का मुख्य नारा है– "स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन। हम बदलेंगे, जग बदलेगा।" नैतिक मूल्यों का पुनरुत्थान और भारत की पुरातन स्वर्णिम संस्कृति की स्थापना करना।
5 साल सेवाकेंद्र पर रहने के बाद होता है चयन
राजयोग मेडिटेशन कोर्स के बाद छह माह तक नियमित सत्संग, राजयोग ध्यान के अभ्यास के बाद सेंटर इंचार्ज दीदी द्वारा सेवाकेंद्र पर रहने की अनुमति दी जाती है। तीन साल तक सेवाकेंद्र पर रहने के दौरान संस्थान की दिनचर्या और गाइडलाइन का पालन करना जरूरी होता है। बहनों का आचरण, चाल-चलन, स्वभाव, व्यवहार देखा-परखा जाता है। इसके बाद ट्रायल के लिए अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन, आबू रोड के लिए माता-पिता की अनुमति पत्र, साइन के साथ पूरी प्रोफाइल भेजी जाती है। ट्रायल पीरियड के दो साल बाद फिर ब्रह्माकुमारी के रूप में समर्पण की प्रक्रिया पूरी की जाती है। समर्पण के बाद फिर बहनें पूर्ण रूप से सेवाकेंद्र के माध्यम से ब्रह्माकुमारी के रूप में अपनी सेवाएं देती हैं।
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