धनबाद। आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन प्रो. प्रेम व्रत ने आज नए विद्यार्थियों के लिए आयोजित ओरिएंटेशन कार्यक्रम में प्रेरणादायक व्याख्यान दिया। कार्यक्रम का आयोजन पेनमैन ऑडिटोरियम में हुआ, जहां प्रो. व्रत ने छात्रों को सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने, अनुशासित रहने और टीम भावना के साथ कार्य करने की सलाह दी।प्रो. प्रेम व्रत, जो नॉर्थकैप यूनिवर्सिटी, गुरुग्राम में प्रो-चांसलर, प्रोफेसर ऑफ एमिनेंस और चीफ मेंटर के रूप में भी कार्यरत हैं, साथ ही आईआईटी दिल्ली के ऑनरेरी प्रोफेसर और एआईटी बैंकॉक के डिस्टिंग्विश्ड एडजंक्ट प्रोफेसर भी हैं, ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि आईआईटी में पढ़ाई करना केवल अकादमिक उपलब्धि नहीं, बल्कि एक समग्र विकास का अवसर है।
उन्होंने कहा, “आपमें से अधिकांश अपने-अपने स्कूल या कॉलेज के टॉपर रहे होंगे, लेकिन यहां आप टॉपर्स के समूह का हिस्सा हैं। ऐसे में यह संभव है कि आप हमेशा शीर्ष पर न रहें। लेकिन इससे हताश होने की जरूरत नहीं है। असफलता को अनुभव के रूप में लें और निरंतर मेहनत करते रहें।”प्रो. व्रत, जिन्होंने आईआईटी रुड़की के संस्थापक निदेशक, आईआईटी दिल्ली के निदेशक-प्रभारी और यूपीटीयू लखनऊ व आईटीएम यूनिवर्सिटी, गुरुग्राम के कुलपति जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है, ने कहा कि किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए सबसे ज़रूरी है – समय की पाबंदी, कार्य के प्रति समर्पण और सकारात्मक सोच। “एक अच्छा इंजीनियर या वैज्ञानिक बनने से पहले एक अच्छा इंसान बनना ज़रूरी है,” उन्होंने कहा। उन्होंने छात्रों से यह भी कहा कि केवल नौकरी पाने से अधिक महत्वपूर्ण है "नौकरी के योग्य" बनना। “एम्प्लॉयबिलिटी यानी नौकरी प्राप्त करने और उसे बनाए रखने की क्षमता — यह ज्ञान, कौशल और व्यवहार का संतुलन है। ज्ञान और कौशल से ज्यादा जरूरी है आपका नजरिया। अगर सोच सकारात्मक है, तो आप हर समस्या का हल निकाल सकते हैं,” उन्होंने कहा।प्रो. व्रत ने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने जीवन की दिशा अपने भीतर की ताकत के आधार पर तय करें — चाहे वह स्टार्टअप हो, रिसर्च, टीचिंग या इंडस्ट्री। “हर किसी के लिए उद्यमिता जरूरी नहीं है। अपने भीतर झांकों और जानें कि आपकी ताकत किस दिशा में है। उसी रास्ते पर आगे बढ़ें,” उन्होंने कहा।
कार्यक्रम की शुरुआत में डीन, कॉरपोरेट कम्युनिकेशन प्रो. रजनी सिंह ने प्रो. प्रेम व्रत का परिचय कराया। उपनिदेशक प्रो. धीरज कुमार और रजिस्ट्रार प्रभोध पांडेय ने उन्हें सम्मानित किया। कार्यक्रम का समापन प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जहां छात्रों ने उत्साहपूर्वक अपने सवाल पूछे।
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