Hot Posts

6/recent/ticker-posts

संत अंथोनी चर्च में पुण्य शुक्रवार *"गुड फ्राइडे*" पर क्रूस रास्ता का आयोजन किया गया


धनबाद।  संत अंथोनी चर्च में पुण्य शुक्रवार अर्थात *"गुड फ्राइडे*" के अवसर पर क्रूस रास्ता का आयोजन किया गया। क्रूस रास्ता प्रभु यीशु के पकड़वायें जाने, क्रूस पर प्राण दंड दिए जाने एवं क्रूस पर भोगी गई पीड़ा तथा मृत्यु के बाद कब्र में रखे जाने तक की 14 विशेष स्थानों में प्रभु यीशु द्वारा सह गए दु:ख को स्मरण करते हुए प्रार्थना किया गया। जिसमें हजारों की संख्या में ईसाई धर्मावलंबियों ने मन ही मन में प्रभु यीशु के साथ कलवारी पहाड़ जहां उन्हें क्रूस मृत्यु दी गई थी की यात्रा की। इस पूरी यात्रा के दौरान वहां मौजूद सभी की आंखें नम थीं। प्रभु यीशु द्वारा क्रूस लेकर 14 विभिन्न स्थानों में जाने तथा बीच में तीन बार गिरने की घटना को क्रूस ढो रहे लोगों ने बहुत ही भावनात्मक तरीके से प्रदर्शित किया। लगभग 1 घंटे की क्रूस यात्रा के बाद सभी लोग चर्च के अंदर पहुंचे जहां फिर एक बार क्रूस रास्ता अर्थात् दु:ख भोग का पाठ पढ़ा गया तथा क्रूस की महिमा की गई। इस अवसर पर  क्रूस पर टांगे जाने के बाद प्रभु यीशु द्वारा कहे गए सात वचनों को दोहराया गया तथा उन पर मनन चिंतन किया गया। 

आज के दिन चर्च में कुछ इस प्रकार के गीत गाए गए

 1) यीशु ने अपना खून बहा कर मुझे बचा लिया

2) जो क्रूस पर कुर्बान वह मेरा मसीहा है। दु:खभोग के यह गीत सभी ईसाई धर्मावलंबियों की आत्माओं को चीरते हुए यह याद दिलाता है कि किस प्रकार यीशु मसीह हमारे पापों के लिए खुशी-खुशी सूली पर चढ़ गये। प्रभु यीशु के संदेश आज भी अत्यंत प्रासंगिक है, क्रूस पर दिया गया बलिदान सिर्फ ईसाई धर्मावलंबियों का ही नहीं बल्कि पूरे मानव जाति के लिए है। यही कारण है कि ईसाई धर्म के लोग ईसा मसीह को परमेश्वर का पुत्र मानते हैं और यीशु के नाम से पुकारते हैं।

आज गुड फ्राइडे के उपलक्ष्य में सहायक फादर प्रदीप मरांडी ने अपने उपदेश में कहा कि आज के दिन हम प्रभु यीशु के क्रूस मरण को याद करते हैं। हमारी हर एक प्रार्थना  क्रूस का चिन्ह बनाकर शुरू होती है और इसी क्रूस के चिन्ह के द्वारा समाप्त भी होती है। प्रत्येक बार क्रूस के चिन्ह को बनाने के द्वारा हम यह स्मरण करते हैं कि किस प्रकार प्रभु यीशु ने निर्दोष होने के बावजूद भी हंसते-हंसते इस क्रूस मरण को स्वीकार किया और ऐसा उन्होंने सिर्फ और सिर्फ मानव जाति के प्रति अपने प्यार और उनके उद्धार के लिए होने दिया। इस पूरी घटना को यदि आज के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो यह किसी ब्रेकिंग न्यूज़ से कम नहीं होता अर्थात प्रभु यीशु के यरुशलम में वापसी, लोगों द्वारा खजूर की डाली बिछाकर उनका स्वागत, अपने ही चेलों में से किसी एक चेले द्वारा उनका पकड़वाया जाना, लोगों द्वारा उन्हें मृत्युदंड सुनाना, उनका क्रूस ढोकर रास्ता पर जाना अंततः उनकी क्रूस मृत्यु। यह पूरा घटनाक्रम किसी ब्रेकिंग न्यूज़ से कम नहीं होता और पल-पल विभिन्न प्रकार के न्यूज़ चैनलों में यह समाचार आज के परिप्रेक्ष्य में चल रहा होता। आज के दिन दो समानांतर विजय की कहानी गढ़ी गई है एक तरफ जहां प्रभु यीशु को मृत्यु दंड देने वाला अपने आप को विजय घोषित करता है वहीं दूसरी ओर प्रभु यीशु की भी विजय गाथा चल रही थी। लेकिन इस विजय गाथा में फिलहाल वे हर्षित और उल्लासित नहीं हैं। बल्कि वह एक अपमान को सहते हुए क्रूस पीड़ा को भोग रहे हैं। किंतु अंदर से वह खुश है क्योंकि यह विजय गाथा अभी नहीं बल्कि तीसरे दिन पुनः जी उठने के द्वारा शुरू होने वाली थी और हम सभी उसी विजय गाथा के प्रतीक हैं। आज हम विशेष कर इसी विजय यात्रा की गवाही देने के लिए यहां एकत्रित हुए हैं। इसलिए आज के दिन हमारे दिलों में उदासी भी है लेकिन साथ ही साथ हमारे मनों में एक रौनक है क्योंकि हम सभी अपने विजय को लेकर आशावान हैं। यह आशा उस क्रूस से जुड़ी हुई है जिस पर हमारे प्रभु यीशु ने अपने आप को हमारे प्यार के लिए कुर्बान कर दिया। आज हम सभी यह जानते हैं कि यदि हम आज कोई पीड़ा सह रहे हैं या किसी दुख से गुजर रहे हैं तो उसका दुखद नहीं बल्कि प्रभु यीशु के द्वारा एक सुखद अंत निश्चिंत है। आज प्रभु यीशु हमसे यह चाहते हैं कि हमारे मसीही जीवन के द्वारा लोग हमसे प्रभावित हों और हम सभी प्रभु यीशु क्राइस्ट के उसे क्रूस के द्वारा आकर्षित हों क्योंकि प्रभु यीशु क्राइस्ट के क्रूस में मुक्ति है, जीवन है, क्षमा है तथा कल्याण है।

आज के कार्यक्रम को सफल बनाने में शिशिर प्रभात तिर्की, अनुप प्रवीण लोंमगा, एतवा टूटी, जॉन कैंप, मनोज,अनूप दत्ता आदि की सराहनीय भूमिका रही।


Post a Comment

0 Comments