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अभया सुंदरी बालिका विद्यालय इस स्कूल का जायजा लेने पहुंची झारखंड बांग्ला भाषी उन्नयन समिति के कार्यकारी अध्यक्ष रीना मंडल

धनबाद। धनबाद में स्थित एक प्रसिद्ध बंगाली विद्यालय जिसका नाम अभया सुंदरी बालिका विद्यालय है। इस स्कूल का जायजा लेने पहुंची झारखंड बांग्ला भाषी उन्नयन समिति के कार्यकारी अध्यक्ष रीना मंडल । यह विद्यालय लगभग सौ साल पुराना है, इस संस्थान का बहुत ही गौरवशाली इतिहास रहा है।अभया सुंदरी बालिका विद्यालय की स्थापना एक बंगाली परिवार की बहू जिनका नाम अभया सुंदरी बनर्जी एक कुशल, बुद्धिमान और रूपवती थी। उसी ने लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 1930 को अपनी निजी खर्चे पर इस स्कूल का निर्माण करवाया था। उस दौर में लड़कियों को शिक्षा नहीं दी जाती थी न के बराबर थी। यह विद्यालय पूरी तरह से बांग्ला मीडियम स्कूल था, इस विद्यालय पर सभी विषय बांग्ला माध्यम से ही पढ़ाई होती थी। पर आज स्थिति कुछ और है जबकि यह स्कूल बंगाली का निर्माण करवाया हुआ है। स्कूल की प्राचार्या काबेरी सरकार जी ने बताया कि पहले यहां बांग्ला माध्यम से ही पढ़ाई होती थी पर सरकार की गलत नीति के कारण, किताब नहीं मिलने के कारण बच्चे धीरे-धीरे सभी बच्चियां हिंदी में पढ़ना शुरू किया। विद्यालय के बाकी शिक्षाएं ने भी कहा की नई शिक्षा नीति के आधार पर सभी को मातृभाषा में पढ़ाई अनिवार्य है पर हमारे विद्यालय में सिर्फ कक्षा एक और दो की किताब वितरण किया जाता है सरकार द्वारा, और बाकी कक्षाओं में बांग्ला किताब नहीं मिलता है। जिसके कारण यहां के बच्चों को बहुत ही असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। जबकि इस विद्यालय की 80% बालिकाएं बांग्ला भाषी है। इस विद्यालय में लगभग 500 से ज्यादा बालिकाएं पढ़ने आती है। शिक्षिका ईशिता पहाड़ियां जी ने बताया कि हमारे विद्यालय में बांग्ला शिक्षक भी है और छात्राएं भी बहुत है। लेकिन किताब नहीं रहने के कारण यहां पढ़ाई बहुत बाधित हो रही है। उन्होंने सरकार से मांग की कि बच्चों को किताब दिया जाए। यह सब सुनकर कार्यकारी अध्यक्ष रीना मंडल  ने कहा हमें तो विश्वास नहीं हो रहा है कि इतने बांग्ला भाषी बच्चे होने के बावजूद भी हमारे झारखंड के शिक्षा मंत्री कहते हैं "पहले बच्चे लाओ फिर किताब देंगे" उन्हें तो शर्म आनी चाहिए।मेले  बर्नाली गुप्ता, तपोषी, कुमकुम बनर्जी, रूमा दत्ता, शिल्पी चौधरी और सभी छात्राएं।मौजूद रही

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