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झारखण्ड बांग्लाभाषी उन्नयन समिति के जमशेदपुर राज्य सम्मेलन में समिति के प्रदेश अध्यक्ष अचिंतम गुप्ता ने कहा कि सरकार बांग्ला भाषियों के हितों की अनदेखी करते हुए उनकी भावनाओं को कुचलने का प्रयास कर रही है

 सिंबायोसिस किड्स स्कूल की शिक्षिका आरती साह को बांग्ला पढ़ने के लिए मोमेंटो और शॉल देकर सम्मानित किया गया

Dhanbad। झारखण्ड बांग्लाभाषी उन्नयन समिति की राज्य सम्मेलन 25 मई को जमशेदपुर के होटल मिस्टी इन में संपन्न हुआ,जिसमें प्रदेश भर के सभी जिलों के बांग्लाभाषी संगठन जुटे और जिस प्रकार से झारखण्ड में बांग्ला भाषा एवं बांग्ला भाषियों के अस्तित्व को मिटाने की कोशिश हो रही है उस पर विस्तृत चर्चा  हुआ एवं आगे की रणनीति निर्धारित किया गया। इस आशय की जानकारी एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से देते हुए झारखण्ड बांग्लाभाषी उन्नयन समिति के प्रदेश अध्यक्ष  अचिंतम गुप्ता द्वारा बतलाया गया कि झारखण्ड ऐतिहासिक एवं भौगोलिक रूप से एक बांग्ला भाषा बहुल राज्य है। प्रदेश के चौबीस में से सोलह जिलों में बांग्ला ही प्रमुख सम्पर्क भाषा है।परन्तु झारखण्ड गठन के बाद से पिछले पच्चीस वर्षों में प्रदेश की सभी सरकारों ने बांग्ला भाषा एवं बांग्ला भाषियों के अस्तित्व को मिटाने का ही कूट षडयंत्र किया है। आज प्रदेश के बांग्लाभाषियों से उनकी मातृभाषा को ही छीनने की कोशिश हो रही है,जिसे प्रदेश के एक करोड़ तीस लाख बांग्ला भाषी किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। झारखण्ड गठन के बाद से ही पिछली सरकारों ने बांग्ला में पठन पाठन को बन्द करने के उद्देश्य से बांग्ला में पाठ्य पुस्तकों की आपूर्ति बन्द कर दी, बांग्ला भाषी शिक्षकों की नियुक्ति को भी बन्द कर दिया गया,जिसका परिणाम यह हुआ कि स्कूलों में बांग्ला भाषी छात्रों की संख्या घटने लगी, स्कूलों से ड्रॉप आउट की संख्या बढ़ गई,फिर उन सोलह हजार स्कूलों को बन्द कर दिया गया,जहां छात्र कम थे और इस सबका सीधा प्रभाव प्रदेश के बांग्लाभाषी छात्रों पर ही पड़ा। अब आज प्रदेश के शिक्षा मंत्री कहते हैं कि पहले छात्र लाइए फिर पुस्तक एवं शिक्षक देंगे। पिछले पच्चीस वर्षों से सरकार के गलत नीति एवं निर्णय के कारण जो स्थिति उत्पन्न हुई है उसका खामियाजा समाज क्यों उठाएगा? माननीय शिक्षा मंत्री महोदय सारी वस्तु स्थिति से पूर्ण रूपेण अवगत हैं,फिर भी संवैधानिक पद पर रहते हुए उनके इस प्रकार के गैर जिम्मेदाराना बयान से प्रदेश का बांग्लाभाषी समाज क्षुब्ध है और इस बात से स्पष्ट होता है कि वर्तमान झारखण्ड सरकार बांग्लाभाषियों के भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है। दूसरी ओर वर्तमान सरकार द्वारा प्रखर राष्ट्रवादी बंगाली महापुरुष डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नामांकित विश्वविद्यालय से उनके नाम को विलोपित करने का दुर्भाग्य पूर्ण निर्णय लिया है। किसी भी महापुरुष से नाम से कोई भी संस्थान, संगठन बनाने पर हमें कोई विरोध नहीं है,पर किसी भी बंगाली महापुरुष के नाम को मिटा कर यह निर्णय क्यों ? डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी कोई देश द्रोही या आतंकवादी नहीं थे। वे प्रखर राष्ट्रवादी महापुरुष,एक शिक्षाविद्, चिंतक सामाजिक कार्यकर्ता के साथ साथ देश के प्रथम केंद्रीय मंत्रिमंडल के महत्वपूर्ण मंत्री थे। जिस कश्मीर को लेकर आज पूरे देश में देश प्रेम की लहर है, यह उन्हीं की देन है।फिर ऐसे देश भक्त के सम्मान के साथ ऐसा व्यवहार क्यों?अचिंतम गुप्ता द्वारा बतलाया गया कि इन घटनाओं से अब यह स्पष्ट होता है कि सरकार सरासर बांग्ला भाषियों के हितों की अनदेखी करते हुए उनकी भावनाओं को कुचलने का प्रयास कर रही है जबकि झारखण्ड गठन के आंदोलन में प्रदेश के बांग्लाभाषी समाज का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

दिशोम गुरु  शिबू सोरेन एवं बिनोद बिहारी महतो  के साथ साथ स्व ए के राय जैसे प्रबुद्ध बांग्लाभाषी नेता का भी झारखण्ड आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। झारखण्ड की शिक्षा व्यवस्था एवं संस्कृति रक्षा में बांग्ला भाषियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। चुनाव के समय प्रदेश के सभी राजनैतिक दलों द्वारा बांग्ला में प्रचार प्रसार किया जाता है लुभावने वादे किए जाते हैं और चुनाव जीतने के बाद यही राजनैतिक पार्टियां बांग्ला भाषा के अस्तित्व मिटाने में लगी रहती है। प्रदेश का बांग्लाभाषी समाज अब इन हथकंडों को भली भांति समझ गई है, और उसका मुहतोड़ जवाब देने की तैयारी कर रही है।

      सम्मेलन में इन्हीं विषयों पर पूरे प्रदेश भर से जुटे बांग्लाभाषी संगठनों के द्वारा विचार विमर्श किया गया और सभी पहलुओं पर आगे की रणनीति बनाई जाएगी। अभी पूरे प्रदेश में 19 मई से बांग्ला जनजागरण अभियान चलाया जा रहा है।यह अभियान प्रदेश के 150 प्रखंडों के पच्चीस हजार गांवों में चलाया जाएगा। चूंकि सरकार की इन गलत नीतियों का प्रभाव सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को, जो गरीब एवं पिछड़े वर्गों से जुड़े हैं,को होना पड़ रहा है, इस लिए हमारा यह आन्दोलन गांवों से ही समूचे प्रदेश में फैलाया जाएगा ।

25 .05.2025 को जमशेदपुर में आयोजित झारखण्ड बांग्लाभाषी उन्नयन समिति के राज्य सम्मेलन में सर्व सम्मति से पारित प्रस्ताव: 

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1) झारखंड सरकार एवं प्रशासन अविलंब बांग्ला भाषा एवं बांग्ला भाषियों के अस्तित्व को मिटाए जाने वाली कारवाइयों पर विराम लगते हुए बांग्ला भाषा एवं बांग्ला भाषियों की भाषा,संस्कृति एवं अस्तित्व के रक्षार्थ

पहल प्रारम्भ करे ।

2) सरकार द्वारा पूर्व में घोषणानुसार

बांग्ला को द्वितीय राजभाषा के रूप में अधिसूचित करते हुए उसे व्यावहारिकता प्रदान किया जाए।

3) सरकारी घोषणानुसार क्षेत्रीय भाषाओं में केजी से पीजी तक पठन पाठन प्रारम्भ करने के तहत अविलंब

बांग्ला में केजी से पीजी तक पठन पाठन प्रारम्भ किया जाए।

4) अविलंब विद्यालयों में बांग्ला भाषा में पाठ्य पुस्तकों की आपूर्ति सुनिश्चित किया जाए। बांग्ला पाठ्य पुस्तकों के मुद्रण में यदि कोई बाधा आती है तो

जिस प्रकार से पश्चिम बंगाल सरकार के शिक्षा व्यवस्था का आकलन कर 

झारखण्ड में शिक्षा व्यवस्था का रिपोर्ट तैयार किया गया है उसी तर्ज पर पश्चिम बंगाल सरकार के बांग्ला भाषा में मुद्रित पाठ्य पुस्तकों के आधार पर झारखण्ड में बांग्ला भाषा में पाठ्य पुस्तकों का मुद्रण और वितरण किया जाए,इसके लिए पश्चिम बंगाल सरकार का सहयोग प्राप्त किया जा सकता है।

5)  अविभाजित बिहार के तर्ज पर राज्य बंटवारे के समय संचालित सभी

बांग्ला माध्यम के विद्यालयों में समुचित मात्रा में सभी विषयों के लिए बांग्ला शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित किया जाए।

6) उसी प्रकार अन्य सभी विद्यालयों में मातृभाषा बांग्ला की पढ़ाई प्रारम्भ किया जाए एवं मातृभाषा बांग्ला के लिए एक एक शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित किया जाए।

7) बांग्ला भारत के आजादी के बाद घोषित भारत सरकार के अष्टम अनुसूची में शामिल भाषा है, संप्रति भारत सरकार ने बांग्ला को शास्त्रीय भाषा घोषित किया है और नई शिक्षा नीति के अनुसार सभी छात्रों को मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने को अनिवार्य बनाया गया है।पूरे भारत में हिन्दी के बाद बांग्ला दूसरी सबसे प्रमुख भाषा है, अतः झारखण्ड के एक करोड़ तीस लाख बांग्लाभाषियों के संवैधानिक एवं मौलिक अधिकार की रक्षा किया जाए।

8) अविभाजित बिहार में बांग्ला अकादमी गठित थी,जो देश की सबसे

पुरानी बांग्ला अकादमी थी, उसी तर्ज पर अविलंब झारखण्ड में बांग्ला अकादमी का गठन किया जाय।

9) अविभाजित बिहार में राज्य अल्प संख्यक आयोग में एक उपाध्यक्ष का पद बांग्ला भाषियों से सदैब भरा जाता था। झारखण्ड में बांग्ला भाषी

सबसे बड़ी भाषाई अल्प संख्यक समुदाय है, अतः राज्य अल्प संख्यक आयोग में एक उपाध्यक्ष एवं दो सदस्य का पद बांग्ला भाषियों द्वारा भरा जाए ।

10) पूर्व में राज्य अल्प संख्यक आयोग के अध्यक्ष के पद पर बांग्ला भाषी को पदस्थापित किया गया था,प्रदेश में बांग्ला भाषियों के संख्या

के आधार पर चक्रानुक्रम से राज्य अल्प संख्यक आयोग के अध्यक्ष का

पद बांग्ला भाषियों को प्रदान किया जाए।

11) पूर्व की भांति झारखण्ड के बांग्लाभाषी बहुल क्षेत्रों के सभी

रेलवे स्टेशनों के नाम को पुनः बांग्ला भाषा में लिखा जाए।

12) राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं, जिस पर

नियुक्ति नहीं हो रही है। राज्य के बांग्ला भाषी मूलवासी नौकरी से वंचित हो रहे हैं,अतः सभी विभागों के रिक्त पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ किया जाए।

13) झारखंड बंगाली महापुरुषों की

कर्म भूमि रही है, परन्तु पिछले पच्चीस वर्षों से राज्य सरकार द्वारा इन महापुरुषों के सम्मान के लिए कोई

कार्य नहीं किया है। अतः चैतन्य महाप्रभु, स्वामी विवेकानंद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रबिंद्रनाथ ठाकुर,ईश्वर चंद्र विद्यासागर, राजा राममोहन राय, आचार्य जगदीश चंद्र बोस,विभूति भूषण बंदोपाध्याय जैसे

बंगाली महापुरुषों के स्मृति में झारखण्ड की उनकी कर्मभूमि में

स्मारक का निर्माण किया जाए।

14) झारखण्ड आन्दोलन में प्रदेश के बांग्लाभाषी समाज का महत्वपूर्ण योगदान रहा है जिसका नेतृत्व झारखण्ड के लोकप्रिय नेता तथा सांसद ए के राय द्वारा किया गया है,परन्तु दुर्भाग्य से आज तक उनकी

स्मृति एवं उनके सम्मान के लिए राज्य सरकार द्वारा कोई करवाई नहीं किया गया है। अतः स्व ए के राय की स्मृति में उनकी कर्मस्थली धनबाद में स्मारक

का निर्माण किया जाय ।

15) प्रखर राष्ट्रवादी बंगाली महापुरुष डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नामांकित विश्वविद्यालय के नाम से संचालित विश्वविद्यालय में से उनके नाम को विलोपित करना पूरे बंगाली समाज का अपमान है,उसे निरस्त किया जाए।

प्रदेश सम्मेलन में रांची, धनबाद, बोकारो, दुमका, जामतारा, पाकुड़, साहेबगंज, देवघर, कोडरमा, हजारीबाग, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम, सरायकेला जिले के बंगभाषी संस्था के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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