Hot Posts

6/recent/ticker-posts

सीएसआईआर-सीआईएमएफआर ने युवा प्रतियोगिताओं, विशेषज्ञ व्याख्यान और वृक्षारोपण अभियान के साथ मनाया विश्व पर्यावरण दिवस




धनबाद। सीएसआईआर - केंद्रीय खनन और ईंधन अनुसंधान संस्थान (सीआईएमएफआर), धनबाद ने विश्व पर्यावरण दिवस 2025 को “प्लास्टिक प्रदूषण से मुकाबला” विषय पर कई रंगारंग कार्यक्रमों के साथ मनाया। यह कार्यक्रम प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और जल संसाधन प्रबंधन समूहों द्वारा आयोजित किया गया था। इसमें छात्रों, शोधकर्ताओं और कर्मचारियों ने पूरे दिन उत्साह से भाग लिया।

सुबह के सत्र में निम्नलिखित प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं:

• कक्षा 11–12 के छात्रों के लिए निबंध लेखन प्रतियोगिता

• कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए क्विज़ प्रतियोगिता

• शोध छात्रों, परियोजना कर्मियों और प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर रहे छात्रों द्वारा मौखिक और पोस्टर प्रस्तुतियाँ

दोपहर का सत्र दीप प्रज्वलन और निदेशक के स्वागत भाषण से शुरू हुआ। सीएसआईआर-सीआईएमएफआर के निदेशक ने पर्यावरणीय क्षरण और माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण के बढ़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त की, जो अब मानव मस्तिष्क में भी पाया जा रहा है। उन्होंने प्लास्टिक कचरा प्रबंधन में संस्थान की भूमिका बताई और टिकाऊ जीवन के लिए 5आर सिद्धांत (Refuse, Reduce, Reuse, Repurpose, Recycle - मना करें, कम करें, पुनः उपयोग करें, नया रूप दें, पुनर्चक्रण करें) अपनाने की अपील की।

मुख्य अतिथि डॉ. संजय कुमार (पूर्व महानिदेशक, वन विभाग) ने वैज्ञानिकों, नीति-निर्माताओं, छात्रों और नागरिकों से मिलकर पर्यावरण के लिए काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर-सीआईएमएफआर भविष्य के लिए हरित दिशा में उदाहरण बन सकता है। डॉ. संजय कुमार नें सिम्फ़र को तीन निर्देश दिये:

१ प्लास्टिक वेस्ट का ख़ान पुनरुधान में उपयोग 

२ रिसाइकल्ड प्लास्टिक का माइन मशीनरी में उपयोग 

३ प्लास्टिक का फ्यूल बनाने में उपयोग 

विशिष्ट अतिथि श्री विकास पालीवाल, जिला वन अधिकारी, धनबाद ने विश्व पर्यावरण दिवस के इतिहास को 1972 की स्टॉकहोम सम्मेलन से जोड़ा और बताया कि अब केवल आयोजन नहीं, बल्कि हर दिन पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने प्लास्टिक प्रदूषण, जल संकट और ऊर्जा की अधिक खपत को हमारी अस्थायी आदतों का परिणाम बताया। उन्होंने “प्रोजेक्ट डॉल्फ़िन” और “जस्ट ट्रांज़िशन और एसडीजी” जैसे प्रयासों का उदाहरण देते हुए हरित ऊर्जा, वनीकरण और जिम्मेदार खनन की वकालत की। साथ ही, प्लास्टिक से बचने, पानी और बिजली बचाने जैसे छोटे-छोटे कदम उठाने की सलाह दी।बीआईटी मेसरा के प्रोफेसर जावेद इक़बाल ने अपने व्याख्यान में कहा कि वायु और प्लास्टिक प्रदूषण से लड़ने के लिए शोधकर्ताओं, नीति-निर्माताओं, छात्रों और आम जनता को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने शोध, जागरूकता और नवाचार पर ज़ोर दिया।

इसके बाद प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार और प्रमाणपत्र दिए गए।कार्यक्रम का समापन डॉ. सिद्धार्थ सिंह के धन्यवाद प्रस्ताव और वृक्षारोपण कार्यक्रम के साथ हुआ, जो पर्यावरण के प्रति संस्थान की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

Post a Comment

0 Comments