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दसलक्षण पर्व का जैन धर्मावलंबियों में विशेष महत्व है इन दस दिनों में विशेष पूजा, विधान, आराधना, तप, त्याग करते हैं

 



धनबाद। दसलक्षण पर्व का जैन धर्मावलंबियों में विशेष महत्व है। यह पर्व भादो माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि से प्रारंभ होकर पूर्णमासी के दिन संपूर्ण होता है। जैन धर्मावलंबी इन दस दिनों में विशेष पूजा, विधान, आराधना, तप, त्याग करते हैं। इस वर्ष पंडित श्री विवेक जैन शास्त्री  धर्म ध्यान की प्रभावना हेतू सांगानेर, जयपुर, राजस्थान से पधारे हैं।दस दिनों में यह धर्मावलंबी तपस्या और त्याग का पर्यूषण पर्व मनाते हैं इसमें दस दोनों अब तक भगवान की पूजा आराधना भजन कप्तान व्रत उपवास किये जाते हैं एवं एक दस लक्षण विधान होता है जिसमें

 विशेष पूजा की जाती है , जैन धर्म के दस लक्षण (दशलक्षण धर्म) और इनके अर्थ ये हैं:

1. उत्तम क्षमा – क्रोध को जीतकर दूसरों को क्षमा करना।  

2. उत्तम मार्दव – अहंकार छोड़कर विनम्रता अपनाना।  

3. उत्तम आर्जव – मन, वचन, कर्म में सीधापन और सरलता।  

4. उत्तम शौच – लोभ-मोह छोड़कर आंतरिक शुद्धता।  

5. उत्तम सत्य – सभी के लिए हितकारी और सच्चे बोलना।  

6. उत्तम संयम – इंद्रियों और मन को नियंत्रण में रखना।  

7. उत्तम तप – इच्छाओं को नष्ट कर आत्मा की शुद्धि।  

8. उत्तम त्याग – मोह-माया और द्रव्यों का त्याग।  

9. उत्तम आकिंचन – किसी भी वस्तु या व्यक्ति से आसक्ति न रखना।  

10. उत्तम ब्रह्मचर्य – आत्मा में रमण, इंद्रिय संयम और पवित्रता।  

ये दस लक्षण आत्मा की शुद्धि और मोक्ष के मार्ग हैं। क्षमावणी के दिन जैन धर्म, खासकर दिगंबर अनुयायी, पर्युषण महापर्व के बाद सभी से क्षमा मांगते हैं। यह दिन आत्मशुद्धि, सहनशीलता, और अहिंसा का प्रतीक होता है। लोग मन, वचन, कर्म से किए गए गलतियों या अपराधों के लिए सभी जीवों से माफी मांगते हैं, 'मिच्छा मे दुक्कड़ं' कहकर शांति और मेल-जोल बढ़ाते हैं। यह जैन धर्म का मुल सिद्धांत है। क्षमा पर्व में क्रोध और अहंकार को छोड़कर दिल से सबको माफ़ कर आत्मा को शुद्ध किया जाता है। इस दिन प्रकृति से भी माफी मांगी जाती है और आगे बेहतर आचरण का संकल्प लिया जाता है।


इस प्रकार से प्रतिदिन अभिषेक, पूजा, अर्चना संध्या में शास्त्र सभा, आरती एवं ध्यान किया जाता है |

कार्यक्रम में मुख्य रूप से –

श्रीमती पुष्पा जैन 

संजय-मनोज जैन 

प्रदीप जैन 

बुलबुल जैन 

अरविंद जैन 

अरुण जैन 

बबिता जैन 

कोमल जैन 

स्वाति जैन 

रमेश जैन 

श्रीमती कलानंद अग्रवाल 

श्रीमती देवी अग्रवाल 

श्रीमती सुषमा जैन 

श्रीमती सरिता जैन 

सत्येंद्र जैन 

निरज ज्योति 

पीयूष जैन 

भोला पुजारी 

मनीष जैन 

महेंद्र जैन 

सविता जैन 

ललिता जैन

सिद्धार्थ  जैन 

नीरज जैन 

वरुण जैन 

तृप्ति जैन

ललिता जैन 

जैन विक्की जैन साध्वी प्राची , अमित आरोही , रस्मी जैन , बञान ,मनीष शिममि जैन , योजना  आदि सम्मिलित रहे।


इस वर्ष दस दिनों का उपवास श्रीमती वंदना जैन, मटकुरिया निवासी ने किये, मौन में रहकर मौन साधना भी की|




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