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बांग्ला में केजी से पीजी तक की पढ़ाई की मांग को शिक्षा मंत्री का कहना 'छात्र दो तब हम बांग्ला में पढ़ाई की व्यवस्था करेंगे'अस्वीकार्य एवं बांग्ला भाषा को अपमानित करने वाला: रीना मंडल




Dhanbad। पिछले दिनों प्रदेश के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन से उनके जमशेदपुर स्थित आवास पर सरकारी घोषणानुसार केजी से पीजी तक बांग्ला में पढ़ाई प्रारम्भ करने की मांग को लेकर अभ्यावेदन समर्पित करने गए प्रदेश के सभी चौबीसों जिलों के सौ से अधिक संगठनों की केंद्रीय संस्था झारखण्ड बांग्लाभाषी उन्नयन समिति* के प्रतिनिधि मण्डलको दिए गए " छात्र दो तब हम बांग्ला में पढ़ाई की व्यवस्था करेंगे" जवाब सर्वथा अस्वीकार्य एवं बांग्ला भाषा को अपमानित करने वाला है, जिसका समिति कड़े शब्दों में विरोध करता है ।

इस आशय की जानकारी एक संवाद दाता सम्मेलन के माध्यम से देते हुए समिति के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष  रीना मंडल द्वारा बतलाया गया कि श्री हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में पिछली विधानसभा चुनाव लड़ रही गठबंधन मोर्चा द्वारा अपने चुनाव घोषणा पत्र में जिन सात गारंटी की घोषणा की गई थी उसमें पहली गारंटी प्रदेश में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा तथा संस्कृति की रक्षा की गारंटी थी और उसके तहत सरकार गठन के बाद माननीय शिक्षा मंत्री द्वारा बार बार विभिन्न मंचों से सभी क्षेत्रीय भाषा एवं जनजातीय भाषा में केजी से पीजी तक पठन पाठन प्रारम्भ करने की घोषणा की जाती रही है। उसी संदर्भ में समिति का प्रतिनिधि मण्डल माननीय शिक्षा मंत्री से मिल कर सभी स्तर पर बांग्ला भाषा में पठन पाठन प्रारम्भ करने, स्कूलों में समुचित मात्रा में पाठ्य पुस्तक उपलब्ध करवाने, सभी विषयों के शिक्षकों की नियुक्ति करने की मांग को लेकर उनको ज्ञापन समर्पित करने गया था, परन्तु जिस प्रकार से मंत्री महोदय द्वारा बतलाया गया कि पहले छात्र दो तब बांग्ला मेंपढ़ाई के बारे में सोचेंगे, न व्यवहारिकहै और न ही तर्कसंगत । उल्लेखनीय है कि झारखण्ड गठन के बाद से पिछले पच्चीस वर्षों में प्रदेश में बांग्ला भाषा एवं बांग्ला भाषियों के अस्तित्व को मिटाने का एक कूट षडयंत्र पिछली सरकारों एवं प्रशासन द्वारा किया जाता रहा है। अविभाजित बिहार में झारखण्ड के सभी जिलों में सैकड़ों बांग्ला माध्यम के विद्यालयों में बांग्ला भाषा में पढ़ाई होती थी, हिन्दी माध्यम के विद्यालयों में भी मातृभाषा के रूप में एक विषय बांग्ला की पढ़ाई होती थी। उस समय बिहार टेक्स्टबुक पब्लिशिंग कॉरपोरेशन द्वारा समुचितमात्रा में बांग्ला भाषा में पाठ्य पुस्तकों की आपूर्ति की जाती थी, स्कूलों में समुचित मात्रा में सभी विषयों के बांग्ला भाषी शिक्षकों की नियुक्ति की जाती थी । परन्तु खेद का विषय है कि झारखण्ड बनने के बाद तत्कालीनश्री बाबूलाल मरांडी की सरकार द्वाराबिहार टेक्स्टबुक पब्लिशिंग कॉरपोरेशन जैसी किसी संस्था का गठन नहीं किया गया,परिणाम स्वरूप प्रदेश में बांग्ला में पाठ्य पुस्तकों कीआपूर्ति बन्द कर दी गई, कुछ दिनों तक शिक्षक हिंदी से बांग्ला में अनुवादित कर पढ़ाते रहे, जिसका प्रभाव सीधे शिक्षा के स्तर पर पड़ा,छात्र फेल होने लगे, स्कूलों मेंड्रॉप आउट की संख्या बढ़ गई।स्पष्ट है कि जब स्कूलों में बांग्ला में पढ़ाई की व्यवस्था ही नहीं है तो अभिभावक अपने बच्चों को किस

आधार पर पढ़ने के लिए स्कूल भेजेंग? अब मंत्री महोदय का कहना, कि पहले छात्र दो तब बांग्ला में पढ़ाई की व्यवस्था की जाएगी, किसी भी दृष्टिकोण से तर्कसंगत नहीं है। जब उनसे बतलाया गया कि उन्हींकी पिछली सरकार द्वारा करवाए गए सर्वे के आधार पर प्रत्येक जिले में समुचित मात्रा में बांग्ला भाषी छात्रों की संख्या दर्शाया गया है, तो उनका जवाब था हमको सब पता है, हम किसके दबाव में काम नहीं करेंगे । हम बैठा कर वेतन देने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति नहीं करेंगे, समिति द्वारा मंत्रीजी को आश्वस्त किया गया कि बांग्ला में पढ़ाई प्रारम्भ करवाया जाए, अभिभावकों को भरोसा होने पर दो साल में सभी स्तर पर बांग्ला भाषी छात्र स्कूल पहुंचने लगेंगे , उस पर मंत्रीजी द्वारा इसे राजनैतिक रूप देने का प्रयास किया गया और बतलाया गया कि उन्हें पता है कि समिति भाजपा समर्थक है ।जबकि हकीकत यह है कि प्रदेश में सबसे अधिक बांग्ला भाषा को हानि भाजपा के कार्यकाल में ही हुआ है ।मंत्री महोदय का इस प्रकार का गैर जिम्मेबराना बयान सर्वथा अस्वीकार्य है, यह सरासर प्रदेश के एक करोड़ तीस लाख बांग्लाभाषियों के भावना का अपमान है, इससे प्रदेश में बांग्ला भाषा के अस्तित्व को मिटाने के षडयंत्र की बु आती है। प्रदेश के बांग्ला भाषाओं के साथ साथ यह उन बंगाली महापुरुषों का भी अपमान है, जिन्होंने झारखण्ड को अपना कर्मभूमि बनाया था,नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रबिंद्रनाथ ठाकुर,स्वामी विवेकानंद,पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर, राजा राममोहन राय, विभूतिभूषण बंदोपाध्याय,महाश्वेता देवी उन्हीं कड़ी में शामिल हैं।  रीना मंडल द्वारा आगे बतलाया गया कि माननीय शिक्षा मंत्री द्वारा दिए गए इस बयान से पूरे प्रदेश के बांग्लाभाषी समाज में रोष है । पूरा बांग्लाभाषी समाज बांग्ला भाषा के अस्तित्व को मिटाने के इस कूट षडयंत्र को विफल करने के लिए कटिबद्ध है। उनके द्वारा बतलाया गया कि जल्द ही प्रदेश कार्यसमिति की बैठक बुलाकर आगे की रणनीति तय की जाएगी । जल्द ही माननीय मुख्यमंत्री एवं महामहिम राज्यपाल महोदय से मिलकर वस्तुस्थिति की जानकारी उन्हें दी जाएगी । निश्चित रूप से प्रदेश का बांग्लाभाषी समाज इसके विरुद्ध राज्यव्यापी आन्दोलन छेड़ेगा ।

प्रदेश के बांग्लाभाषी अपनी मातृभाषा एवं संस्कृति का अपमान कतई बर्दाश्त नहीं करेगा । श्रीमती रीना मंडल द्वारा बतलाया गया कि बांग्ला हिंदी के बाद देश की दूसरी सबसे प्रमुख भाषा है, संप्रति भारत सरकार द्वारा बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान किया गया है। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत प्रत्येक बच्चे को उसकी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करना अनिवार्य बनाया गया है,उसके बाद भी मंत्री महोदय का यह बयान बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है ।

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