Dhanbad।जब दुर्गा पूजा का त्योहार आता है, तो सड़को पर न केवल देवी की मूर्तियां दिखती हैं, बल्कि 'निहारिका) जैसी युवा महिला के अद्वितीय दिन और साहस से भरपूर कहानी भी प्रकट होती है। गार्डन सिटी अपार्टमें में रहने वाली निहारिका श्रीवास्तव जो की केवल 17 वर्ष की हैं, उन्होने ये सिद्ध कर दिया है कि व्यक्ति की आयु केवल एक संख्या होती है, लेकिन उनकी साहसी मानसिकता की कोई सीमा नहीं होती। निहारिका कार्मल स्कूल धनबाद की छात्रा रह चुकी हैं। उन्हें बचपन से ही पश्चिक स्पीकिंग और सामाजिक सेवा करना बहुत पसंद है। वो भविष्य में एक डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करना चाहती हैं। साथ ही साथ, निहारिका को पढ़ाई, लेखन, नृत्य, संगीत, खाना बनाना और नई-नई चीजें करने में बड़ी रूची है। उनका मानना है की जब हमें एक जिंदगी मिली है, हर चीज़ का प्रयास करना हमारे लिए एक सुनहरा अवसर होता है। हमें अपने सीमाओं के पार जाना चाहिए। निहारिका कई नेशनल लेवल की प्रति योगिताओं की विजेता रह चुकी है। जैसे कि पब्लिक स्पीकिंग, लेखन, स्पेल बी और अंतरराष्ट्रीय स्पेल बी में भी उन्होंने ऊँचे स्तर तक अपनी पहुंच बनाईहै। उन्होने इंस्पायर अवार्डस मानक में भी सम्मान हासिल किया है। बचपन से ही निहारिका लोगो की मदद करते आ रही हैं। उन्होंने गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाया भी है। 4 अगस्त को वे उपायुक्त वरुण रंजन से मिली और अपने पहल 'तू खुल तू बोल' (ओपन अप स्पीक अप) का उद्घाटन भी कराया। उपायुक्त ने उनकी काफी प्रशंसा भी की। निहारिका ने सरकारी स्कूल और निजी पश्लिक स्कूल बच्चों को सार्वजनिक भाषण, व्यक्तिगत विकास और के मॉरल मूल्यों पर मुफ्त में वर्कशॉप भी दिया। वो कहती है की वो भारत को स्मार्ट इंडिया बनाने के मिशन पर है। बच्चों को सही दिशा दिखाना चाहती है। बच्चे बहुत नादान
होते है, उन्हें सही मार्गदर्शन की ज़रूरत है, गलत चीजें तो हर जगह उपलब्ध है लेकिन सही चीजे आसानी से नहीं मिलती। जब माता- पिता समझाने की कोशिश करते है तो बच्चे अक्सर उन्हें गलत समझ लेते हैं, ऐसे में निहारिका का मानना है कि अगर उनकी उम्र का कोई उन्हें सही चीजें सिखाये तो वे सुनते और समझते भी है। और निहारिका ने इसे सिद्ध कर दिखाया। जो बच्चे आज तक कभी स्टेज पर नहीं गए थे, लोगो से बात करने में हिचकिचाते थे, उन बच्चों ने निहारिका के पहले अनोखे टैलेंट हंट प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और हॉल में घूम मचा दिया। वे समानता में भरोसा रखती है इसलिए उन्होंने अपने कार्यक्रम में सभी प्रकार के बच्चो को शामिल किया। इसमें जीवन ज्योति के भी बच्चों ने हिस्सा लिया। वो लोगो को मोटीवेट भी करती है और उनके अंदर से स्टेज पर नहीं बोलते के डर को निकालती है। उन्हें लोगो को जागरूक करना अच्छा लगता है।
उनका मानना है की हमे कभी भी अपने परेशानियों के आगे झुकना नही चाहिए। कि ये सिर्फ बच्चों के लिए नहीं, बल्कि बड़े भी उनसे काफी प्रेरित होते है। जब वे अपने मिशन के पहले राऊंड पर भी तब उन्हें कई चूनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन वो रुकी नहीं और उन्होने कामयाबी के झंडे गाड़े इसके लिए वो ईश्वर को धन्यवाद देती है। साथ ही साथ वो बताती है की इसमें उनके माता-पिता और छोटे भाई का काफी योगदान रहा है उनके बिना ये संभव नहीं था। निहारिका ने बचपन से ही अपनी मम्मी को आल राऊडर देखा है और वे उन्हें अपना प्रेरक मानती है। उनके गुरुजनों का आर्शीवाद उनके साथ है तो वो कहती है,हर कुछ संभव है। वो अपने यूटयूब चैनल से भी लोगो से जुड़ी हुई हैं।
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