टुंडी के मनियाडीह में शिबू आश्रम आज भी गवाह है
धनबाद।झारखंड के लिए 11 जनवरी की तारीख बेहद खास है आज ही के दिन 11 जनवरी को दिशोम गुरू शिबू सोरेन 80 साल के हो गए. आज वो अपना 80वां जन्मदिन मना रहे हैं। शिबू सोरेन से दिशोम गुरू बनने की उनकी कहानी काफी संघर्ष भरी है। आज ही के दिन 1944 में उनका जन्म रामगढ़ के (नेमरा) गांव में हुआ था। शिबू सोरेन ने दशवीं तक की पढ़ाई की है, झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उनके बेटे हैं। शिबू सोरेन के पिता सोबरन मांझी की 1957 में हत्या कर दी गई थी,वो महाजनी प्रथा के खिलाफ लगातार आंदोलन कर रहे थे, जंगल मे रह कर आदिवासियों का नेतृव कर रहे थे तब यह पूरा इलाका बिहार का हुआ करता था,पुलिस से बचने के लिए लगातार अपना स्थान बदलते रहते थे। टुंडी के मनियाडीह में शिबू आश्रम आज भी गवाह है।अपने पिता की हत्या के बाद ही शिबू सोरेन आदिवासी हित में उग्र होकर बोलने लगे, उन्होंने धान काटो आंदोलन चलाया।झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन 4 फरवरी 1972 में धनबाद में हुआ। शिबू सोरेन ने अलग झारखंड की मांग को लेकर आंदोलन चलाया, आपातकाल में उनके नाम का वारंट निकला, उन्होंने तब सरेंडर कर दिया।
राजनीतिक मैदान में उनकी मौजूदगी
दिशोम गुरु झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री बने वो पहली बार 1977 में चुनाव लड़े, तब वो हार गए,उसके बाद उन्होंने संथाल की ओर अपना रूख किया 1980 में वो पहली बार दुमका से जीते वो 8 बार यहां से जीते। शिबू सोरेन दो बार राज्यसभा सांसद भी बने। केंद्र में उन्होंने कोयला मंत्रालय का भार भी संभाला हैं। वर्तमान में स्वास्थ्य ठीक नही होने के कारण सक्रिय राजनीति से दूर हैं फिर भी संगठन एवं अपने पुत्रों को मार्गदर्शन देते रहते हैं।



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