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सीएम हेमंत सोरेन ने बुधवार की शाम गठबंधन दलों की एक अहम् बैठक बुलाई,झारखंड की सियासत की पल-पल बदलती तस्वीर पर बात करेंगे

 


धनबाद(DHANBAD)। मंगलवार की सुबह झारखंड के महाधिवक्ता और कई सलाहकारो से सीएम हेमंत सोरेन ने मुलाकात की और उसी के कुछ देर बाद ही सीएम हेमंत सोरेन ने 3 जनवरी को शाम 4:30 बजे गठबंधन दलों की एक अहम् बैठक बुलाई है. अब इस बैठक में किस मुद्दे पर चर्चा होगी ये तो अभी स्पष्ठ नहीं हो पाया है. लेकिन कयास लगाये जा रहे हैं कि सीएम हेमंत और गठबंधन के सभी विधायक और मंत्रीगण झारखंड की सियासत की पल-पल बदलती तस्वीर पर बात करेंगे।

झारखंड में राजनीतिक तपिश उफान पर

झारखंड की राजनीतिक तपिश ठंड को भी मात दे रही है। नए साल में झारखंड में राजनीतिक तपिश तूफान बन कर उभरा है। गिरिडीह के गांडेय विधानसभा से डॉक्टर सरफराज अहमद ने इस्तीफा दे दिया है। लेकिन वह झारखंड मुक्ति मोर्चा की सदस्यता में बने हुए हैं। सरफराज अहमद ने भी कहा है कि यह उनका व्यक्तिगत फैसला है. उन्होंने यह कदम पार्टी, सरकार व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथों को मजबूत करने के लिए उठाया है। उन्होंने यह भी कहा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा से मेरी कोई नाराजगी नहीं है। मैं पार्टी के साथ हूं और पार्टी के लिए काम करूंगा।

गांडेय विधानसभा झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए सुरक्षित सीट 

तकनीकी बातों को ध्यान में रखते हुए ऐसे समय में डॉक्टर सरफराज अहमद का इस्तीफा हुआ है, जिससे कि फिर से चुनाव हो सके। गांडेय विधानसभा को झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए सुरक्षित सीट माना जाता है। झारखंड बनने के बाद 2005 में पहली बार विधानसभा के चुनाव हुए थे। साल 2000 में इस सीट पर कांग्रेस से सरफराज अहमद विजयी रहे थे। 2005 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के साल खान सोरेन ने सरफराज अहमद को पराजित कर दिया था। साल 2014 के चुनाव में भाजपा के जयप्रकाश वर्मा ने कांग्रेस व झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशियों को पराजित करते हुए पहली बार जीत दर्ज कर की थी। 2019 में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा। यह सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा के खाते में आई। तब कांग्रेस छोड़ सरफराज अहमद ने झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ा और विजई रहे। भाजपा प्रत्याशी जयप्रकाश वर्मा को उन्होंने 56000 से भी अधिक वोट से हरा दिया. राजनीति गणित चाहे जो भी बैठाई गई हो, लेकिन झारखंड फिर एक बार चर्चा में है।

सत्ता की कमान मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना सोरेन को सौंपी जा सकती है

इधर प्रवर्तन निदेशालय ने रांची जमीन घोटाले में हेमंत सोरेन को पहला समन 13 अगस्त 2023 को दिया था। लेकिन उसके बाद के 6 समन पर भी वह अनुपस्थित रहे। राज्यपाल ने 11 दिसंबर को मीडिया के सवाल पर कहा था कि खनन लीज मामले में मुख्यमंत्री की विधानसभा सदस्यता को लेकर भारत निर्वाचन आयोग से मिले मंतव्य का राज भवन अध्ययन कर रहा है। यह भी कहा था कि जिन लोगों ने गलत काम किया है और दोषी पाए गए हैं, उन्हें परिणाम भी भुगतना होगा. यह सब ऐसे संकेत है जो बता रहे हैं कि मुख्यमंत्री की कुर्सी खतरे में पड़ सकती है . ऐसे में विकल्प के तौर पर उन्होंने जो योजना बनाई होगी, उसमें सरफराज अहमद का इस्तीफा देना महत्वपूर्ण हो जाता है. सियासी हलकों में यह चर्चा तेज है कि अब सत्ता की कमान मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना सोरेन को सौंपी जा सकती है. भाजपा इस मामले को लेकर हमलावर हो गई है ।



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