धनबाद। राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर में मंगलवार से दो दिवसीय वार्षिकोत्सव शुरू हुआ। पहले दिन मंगलवार को छात्राओं ने रंगारंग प्रस्तुति से दर्शकों को मुग्ध कर दिया। मंगलाचरण, समूह नृत्य, राजस्थानी नृत्य, हिंदी नाटक, शिव स्तोत्र, वृंद वादन भोजपुरी लोक नृत्य, अंग्रेजी नाटक और श्री गणेश... जैसे समूह नृत्य दर्शकों को खूब पसंद आए। मुख्य अतिथि आईआईटी आईएसएम धनबाद के निदेशक डॉ सुकुमार मिश्रा ने कहा कि अभिभावक, समाज, संस्थान, बच्चों के चरित्र निर्माण से जुड़ें और विद्यार्थियों में सकारात्मक ऊर्जा भरें। छात्र जीवन में जितना कठिन परिश्रम करते हैं इसका प्रतिफल आपको जीवन भर प्राप्त होता है। इसलिए मन लगाकर पढ़ें। मंच संचालन अनुष्का सरखेल, रिचा कुमारी, वर्षा कुमारी, अनन्या, अरुणिमा वा श्रेया कुमारी ने किया। मौके पर स्कूल के संरक्षक शंकर दयाल बुधिया, अध्यक्ष विनोद कुमार तुलस्यान, उपाध्यक्ष रविंद्र कुमार पटनिया, सदस्य मुरलीधर पोद्दार, सज्जन खरकिया, जगदीश कावड़ा, एमपी बंसल, केशव कुमार हरदिया, उप प्राचार्य मनोज कुमार, प्रभारी प्रतिमा चौबे, कमल नयन, पार्थ सारथी सरकार, चंदा बनर्जी, सुमोना दीक्षित, नीलू बाबूजी आदि मौजूद थे।
यहां शिक्षा ही नहीं, संस्कृति की घुट्टी भी पिलाई जाती है : प्राचार्य
प्राचार्य सुमंत कुमार मिश्रा ने कहा कि राजकमल के बच्चे हमेशा रचनात्मक कार्यों में जुड़े रहते हैं। उन्हें यहां शिक्षा ही नहीं, संस्कृति की घुट्टी भी पिलाई जाती है। यहां बच्चों का भविष्य गढ़ा जाता है। मंत्री संजीव अग्रवाल ने कहा कि राजकमल उपलब्धियों के लिए जाना जाता है। हर साल यहां के छात्र देश भर में बड़े अधिकारी बनते हैं। स्कूल की नाज माजिद बीपीएससी में 198 रैंक के साथ राजस्व पदाधिकारी तो वहीं अंशु कुमारी इसरो में वैज्ञानिक बनी हैं। इससे पहले स्कूल के उपाध्यक्ष रविंद्र कुमार पटनिया ने स्वागत भाषण दिया। वहीं सह मंत्री दीपक रुइया ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
राजकमल धनबाद ही नहीं, बल्कि पूरे झारखंड में गौरव प्राप्त संस्थान है
मुख्य वक्ता विद्या भारती उत्तर पूर्व क्षेत्र के क्षेत्रीय मंत्री डॉ राम अवतार नरसरिया ने कहा कि राजकमल धनबाद ही नहीं, बल्कि पूरे झारखंड में गौरव प्राप्त संस्थान है। बच्चों का चरित्र निर्माण, उनकी सफलता क्यों और कैसे, यह समझना जरूरी है। गुरु आचार्य परंपरा के तहत लाखों छात्र-छात्राएं व शिक्षक-शिक्षिकाएं विद्या भारती में योगदान दे रहे हैं। विद्यालय के अध्यक्ष विनोद कुमार तुलस्यान ने कहा कि राजकमल की जड़ में भारत की संस्कृति व भारतीयता है। यहां बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। विद्यालय में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि किताबों के अध्ययन के साथ विद्यार्थी जीवन के मूल्यों को भी जानें और उनपर अमल करें।
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