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ईसाई धर्मावलंबियों ने " *खजूर पर्व" पर प्रभु यीशु का दिल से स्वागत और अनुसरण किया



धनबाद।  संत अंथोनी चर्च धनबाद में  हजारों की संख्या में ईसाई धर्मावलंबी उपस्थित हुए। जहां सभी ईसाई धर्मावलंबियों ने हाथों में खजूर की डाली को लहराते और गीत गाते गाये  "यहूदियों के बालकों ने, प्रभु की जय गाते हुए प्रभु यीशु का स्वागत किया *" और चर्च के फादर अमातुस कुजूर तथा सहायक फादर प्रदीप मरांडी ने लाल रंग का वस्त्र पहन कर  सभी ईसाई धर्मलंबियों के हाथों में पकड़े हुए खजूर की डाली को आशीष की। तत्पश्चात सभी ईसाई धर्मावलंबी जुलूस के रूप में चर्च में प्रवेश किया और प्रार्थना सभा का आयोजन हुआ। प्रार्थना सभा को संबोधित करते हुए फादर अमातुस कुजूर ने कहा इस दिन प्रभु यीशु जब अपने घर विजयी होकर येरूशलम को लौटे थे तो येरूशलम के लोगों ने खजूर की डाली लहराते हुए उनका स्वागत किया गया था।

ईसाई धर्मावलंबी के लिए " *खजूर पर्व"* एक अनुस्मारक है प्रभु यीशु को दिल से स्वागत और अनुसरण करने के लिए।

 प्रभु यीशु द्वारा क्रूस पर जो खून बहाया गया था उसके सम्मान में पवित्र आत्मा की आग और पीड़ा का प्रतीक मानकर आज हम सभी इतनी बड़ी संख्या में एकत्रित होकर खजूर रविवार मना रहे हैं। आज का यह दिन प्रभु यीशु क्राइस्ट के जीवन काल का एक रहस्यमई घटना को दर्शाता है इसे दुख भोग का रविवार भी कहा जाता है। आज के दिन आज के दिन से ही हम पासका सप्ताह ( ईस्टर) में प्रवेश कर रहे हैं जिसमें हमें आने वाले पवित्र सप्ताह में घटित होने वाली घटनाओं को याद दिलाया जाता है । जिनकी हमने शुरुआत राख बुधवार के दिन से शुरू करी थी। इस पूरी घटना क्रम से हम यह पाते हैं की समय किस प्रकार से अपना करवट बदलता है, प्रत्येक मनुष्य के स्वभाव में विरोधाभास है तथा लोगों का व्यवहार किस प्रकार से किसी व्यक्ति विशेष के प्रति बदल जाता है। यह वही लोग हैं जिन्होंने प्रभु यीशु की वापसी पर सड़क पर कपड़े एवं खजूर की डालियां बिछाई थी तथा पूरे दिल से उनका इस नगर में स्वागत किया था। येरूसलम नगर में प्रभु यीशु का प्रवेश बहुत ही भव्य एवं शानदार तरीके से कराया गया था बिल्कुल एक राजा की तरह। लेकिन यह कैसा राजा था जो गधी पर बैठकर नगर में प्रवेश कर रहा था यह घटना इस बात को दर्शाती है की हमारा प्रभु यीशु दीन हीन लोगों के लिए ही दुनिया में आया था ना की राजगद्दी पर बैठकर राज करने के लिए, साथ ही यह घटना हमें इस बात का एक मजबूत उदाहरण पेश करती है कि हम बुराई को भलाई से जीत सकते हैं। वहीं दूसरी ओर अधिकारियों और याजकों को यह डर सता रहा था की आखिरकार यह कौन है जिसके स्वागत में लोगों ने सड़कों पर कपड़े एवं खजूर की डालियां बिछा डाली हैं। और इस प्रकार उन्होंने षड्यंत्र रचकर पूरे दृश्य को ही बदल कर रख दिया। जहां पूरी भीड़ प्रभु यीशु के साथ थी वहीं अब वही भीड़ उनके खिलाफ हो जाती है। आज से ही हम पवित्र सप्ताह में प्रवेश कर रहे हैं एक ऐसा सप्ताह जो हमारे विश्वास को प्रभु यीशु की ओर और मजबूत करेगा जहां हम अपने प्रभु को और भी करीब से जानेंगे। इस पूरी घटनाक्रम के केंद्र में प्रभु यीशु है। लेकिन अदृश्य रूप से उनके बीच में हम सभी हैं। यह हमारे उद्धार और मुक्ति की कहानी है। प्रभु यीशु ख्रीस्त ने जिस महिमा से हम वंचित थे उस महिमा की ओर हमें ले चलते हैं। हमारी भावनाएं अलग-अलग हो सकती हैं लेकिन इन सब के बावजूद हमारा प्रभु चाहता है कि हम सभी विनम्र भाव से प्रभु की भक्ति करें तथा इन सारी बातों को हम न सिर्फ आज के दिन के लिए बल्कि हमेशा के लिए अपने दैनिक जीवन में लागू करें ताकि हम भी प्रभु यीशु के प्रति अपने प्यार को दर्शा सके क्योंकि उन्होंने हमारे जीवन के पापों के बोझ को अपने क्रूस में उठा लिया है।

कार्यक्रम को सफल बनाने में शिशिर प्रभात तिर्की, शांति सोय, एतवा टूटी, अनूप दत्ता, एल्बिनुस एक्का, प्रवीण लोंमगा आदि की सराहनीय भूमिका रही।  



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