Dhanbad। नवरात्र सिर्फ पूजा और अनुष्ठान का पर्व ही नहीं है, बल्कि नारी सशक्तीकरण को सेलिब्रेट करने का अवसर भी है। मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की अपार शक्ति नारी सशक्तीकरण का प्रतीक है। आज की नारी में जहां मां दुर्गा का ममतामयी रूप सजा है वहीं कुछ कर गुजरने का जोश भी निहित है। सृजन और संहार के दोनों रूपों को अपनाकर सशक्त हुई है आज की यह नारी। हम अपने नवरात्रि स्पेशल में जोहर पत्रिका के माध्यम अपने शहर की कुछ ऐसे ही नारियों को आपके बीच लाने का प्रयास कर रही हैं। नारी शक्ति का प्रतीक धनबाद की रहने वाली समाजसेवी, बिजनेस वूमेन और सफल गृहणी रमा सिन्हा अपनी दोहरी जिम्मेदारी बखूबी निभा रही है आईए जानते हैं उनकी कहानी उन्हीं की जुबानी।
भारत की नारी आज ही नहीं आदिकाल से सशक्त और पूजनीय रहीं हैं , इसका जीता जागता उदाहरण हिंदू धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार नवरात्रि है, जिसे दुर्गा पूजा भी कहते हैं । दुर्गा पूजा में नारी की शक्ति की अलग-अलग रूप में पूजा होती है।हमारी भारतीय संस्कृति आध्यात्मिकता के आधार पर चलती है। नारी शक्ति अर्थात सृजन की शक्ति को देवी स्वरूप में पूजते है। शक्ति, लक्ष्मी, सरस्वती ये तीनों ही नारी शक्ति हैं। नवरात्र के नौ दिन अलग अलग रूप में नारी शक्ति की पूजा तो हम सब करते हैं पर उसे समझते नहीं या समझना नहीं चाहते हैं हम दोनो कह सकते हैं।
दो भाग समान रूप में विभाजित होकर स्त्री और पुरुष हुए जो पूर्ण रूप से परस्परालंबी हैं। आज भी स्त्री वही है जो आदिकाल में थी परंतु मध्यकाल में पाश्चात्य विचारधाराओं ने हमारे देश को कमजोर करने हेतु परिवार को तोड़ने की शुरुआत की जिसमें स्त्री को मोहरा बनाया जाने लगा और अपने आप घर टूटने लगे जिसका फायदा विदेशियों ने खूब उठाया परंतु हम नकारात्मक बातों को छोड़ कुछ सकारात्मक बातों को करेंगे।आज वैश्विक स्तर पर मध्यमवर्गीय और निम्न वर्ग के परिवार की बेटियां इसका जीता जागता उदाहरण बन रहीं हैं । चाहे महिलाएं किसी भी क्षेत्र में हो अपने कार्य को कर्त्तव्य निष्ठा पूर्वक करतीं और अव्वल स्थान को पाती हैं।
थोड़ा सा ध्यान मैं अपनी तरफ खींचते हुए आपको ये बताना चाहूंगी कि एक मध्यम वर्ग परिवार में जन्म लेकर अनेक बाधाओं को झेलते हुए आज आपके समक्ष कुछ लिखने की स्थिति में आ पहुंची हूं। 90 के दशक में 21 वीं सदी वाली बात नहीं थी। हमें रोक टोक और बन्दिशों वाले समाज में बड़ा होना पड़ा जिसमें पड़ोसी भी अपने परिवार के ताऊ जी की तरह डांट सकते थे । परिवार में मां का शिक्षित होना बहुत जरुरी होता क्योंकि मां ही हरेक परिवार की नींव होती है।पापा सरकारी इंजिनियर होने के कारण आज यहां कल कहीं और रहते थे। हमारी मां ने भी हम तीन भाई बहनों को बड़े अच्छे से संभाल कर संस्कार की नीव ऐसी डाली जो भिन्न- भिन्न स्थान पर महत्वपूर्ण भूमिका में समाज में दायित्व निभा रहे हैं। सरकारी स्कूल में पढ़ाई के उपरांत उच्च शिक्षा हेतु मगध विश्वविद्यालय में नामंकन हुआ। पढ़ाई पूरी की फिर कुछ विशेष डिग्रियां भी ली और समाज में अपने नाम से अपनी पहचान बनाने का जिद्द ठान लिया जिसने आज हमें वहां से यहां तक का सफर करने की ताकत दी।
पति रंजन कुमार के साथ और सहयोग ने बिजनेस बुमेन से आज सामाजिक और राजनीतिक पहचान की सफर को आसान बनाया। मैं शादी के 9 साल बाद रियल एस्टेट में आई और फिर 5 से 6 सफल प्रोजेक्ट किया इसी बीच समाज सेवा में भी लगी रहती थी। आए दिन जरूरतमंदों की सहायता करना हमारे प्रथम श्रेणी में रहता था और आज भी निरंतर है। परिवार के सहयोग और सहायता ने हमें अंदर से मज़बूत बनाया हर दिन विश्वास बढ़ता गया और काम भी बढ़ता गया। कोरोना काल में बिजनेस बंद होने के बाद कोई और काम था ही नहीं सिर्फ और सिर्फ सेवा कार्य ही था जो 24*7 किए जा रही थी। खुद करोना से पीड़ित हो कर भी समाज में जरूरतमंद लोगों को यथासंभव सहयोग किया। लगभग 10 वर्षों से राजनीति में अपना योगदान देती आ रही हूं। हमें ईश्वर ने सदा कृपा प्रदान की है। माता रानी की कृपा से स्वयं की शक्ति का आभास तब हुआ जब परेशानियां हद से ज्यादा आई और उसका निदान निकालती गई , तब ये समझ आया कि स्त्री सब कुछ कर सकती है जब वो जिद पर आ जाए तो कुछ भी असंभव नहीं होता।
नारी तू नारायणी* ये वाक्यांश खुद पर सत्य और सार्थक हुआ। दो बच्चों की परवरिश कर घर की जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए आज फिर अपने *गृहस्थी, व्यापार के साथ समाज सेवा और राजनीति* में भी अपना पूर्ण रूप से सक्रिय भूमिका निभा रही हूं। धनबाद , झारखंड में नहीं पूरे देश भर में प्रवास करती हूं और निरंतर सीखने और कार्य करने की अभिलाषा है।
अंत में मैं ये कहना चाहती हूं कि थोड़ा सा आत्मविश्वास, अपनी योग्यता की पहचान और लगातार प्रयास ही महिलाओं को सशक्त बनाता है जिससे नारी शक्ति एक दूजे के लिए प्रेरणा का श्रोत बनती है।
1 Comments
बहुत बहुत धन्यवाद और आभार 🙏
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